एयरकन्डीशन से फैलता पर्यावरण खतरा-जगदीश शर्मा

लेख

AC का बहुतायत में प्रयोग वातावरण मे बदलाव ला रहा है, एसी से रिलीज हुई गरमी से वातावरण में ग्‍लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जो जलवायु परिवर्तन का मुख्‍य कारण है। एसी चलाने से उसकी एग्‍जास्‍ट एअर जो कि कंप्रेशर को ठण्‍डा रखने के लिये गर्म हो जाती है वो आसपास के स्‍थान को और अधिक गर्म कर देती है जिससे अंदर के कक्ष तो ठण्‍डे हो जाते हैं किंतु उतना ही बाहर का वातावरण गर्म हो जाता है ।
यह सही है कि प्रतिस्‍पर्धी दुनिया में यदि हम समय के साथ अपडेट नहीं रहेंगे तो पिछड जायेंगे लेकिन वातावरण को दांव पर लगाकर हम सुख सुविधा के साधन अल्‍पकालिक ही प्राप्‍त कर सकते हैं पूर्णकालिक नहीं ।
एअर कंडीशनर में क्‍लोरोफ्लोरो कार्बन (CFL) का उपयोग ओजोन मण्‍डल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है ओजोन (O3) में ऑक्‍सीजन के तीन परमाणु मिले हुये होते हैं CFL से निकलने वाली क्लोरीन गैस ओजोन के तीन ऑक्‍सीजन परमाणुओं से अभिक्रिया करती है एवं क्‍लोरीन का एक परमाणु ओजाेन के 100,000 अणुओं को नष्‍ट कर देता है इससे ओजोन परत लगातार पतली होती जा रही है ।
ओजोन परत के पतले होने से परावैंगनी किरणें आसानी से धरती पर पहुंचने लगती हैं परावैंगनी किरणों के घातक प्रभाव से कैंसर, त्‍वचा पर दुष्‍प्रभाव, मोतियाबिंद, मलेरिया ,फसलों को नुकसान व समुद्री जीवों के लिये खतरा बढ़ जाता है ।
जो लाेग एअरकंडीशन कक्षों में ज्‍यादा समय बिताते हैं उनमें गर्मी के प्रति सहनशीलता कम होती है तथा लगातार रहने वाला सिरदर्द, थकान, जुकाम ,खांसी , ब्‍लड प्रेशर व ऑर्थराइटिस के लक्षण बढ़ जाते हैं । हवा में नमी की कमी सूखी व खुश्‍क त्‍वचा का कारण बनती है ।
वातानुकूलन में वायु का आर्द्रशीतलन करने की प्रक्रिया में वातावरण की वायु को छन्‍ने के द्वारा यंत्र के भीतर प्रवेश कराया जाता है जिससे वायु की सचित आंतरिक उर्जा गतिज ऊर्जा में वृद्धि करती है जिससे बाहरी तापमान में वृद्धि हो जाती है यानि जितनी ऊर्जा ठण्‍डी होती है उससे दो गुनी ऊर्जा वातावरण को और अधिक गर्म कर देती है ।
AC चलाने से बिजली बहुत अधिक खर्च होती है और इतनी अधिक बिजली बनाने के लिये कोयले की भी बहुतायत में खपत होती है काेयले से कार्बन उत्‍सर्जित होकर वातावरण को दुष्‍प्रभावित कर रही है जिससे पर्यावरण का ह्रास हो रहा है ।
अब आप समझ ही गए होंगे कि रेल, वायुयान, फैक्ट्री, कार, बस , घरों में उपयोग होने वाले एअरकंडीशन से मनुष्‍य व पर्यावरण को कितनी अधिक हानि होती है ।
अत: सारांश में यही कहूंगा कि यदि हम भौतिक सुखसुविधाओं के प्रति इतने अधिक आदी हो रहे हैं तो समय रहते हमें प्रकृति संरक्षण/पर्यावरण बचाने के लिए भी उपाय अवश्‍य करना चाहिये कहीं ऐसा न हो कि प्रकृति का बहुतायत में दोहन इंसानी सभ्‍यता के विनाश का कारण बन जाये ।