जयशंकर प्रसाद के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना को प्रभावित करने वाले कारक

आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रारंभ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही होता है| जैसे जैसे देश के लोगों में राष्ट्रीयता का विकास होता है ठीक वैसे वैसे हिंदी साहित्य का विकास आरंभ होता है । जिस प्रकार भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रणेता राजा राम मोहन राय हैं,वैसे ही हिंदी साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी […]

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अर्थार्जन -अर्थचिंतन की भारतीय दृष्टि १) अर्थशास्त्र की परिभाषा- कौटिल्य एवं शुक्र. २) धर्मण धर्माय च धम:धन एवं अर्जन को महत्त्व व ग्राहक ने विघणट में धन के २८ समानार्थक (synomymous)शब्द दिए है। यज्ञ: सर्व प्रयेजन सिद्ध: सोडवर्थ: -नीतिवाक्यामृतं वेदों में धन-धान्य, गाय-घोड़े आदि देने की अनेक प्रार्थनाएं -दरिद्रम पातकं लोके। -महा.शान्ति -धनमूला: क्रिया: सर्वायतनस्तस्थारणे […]

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