मेला-रामबाबू शुक्ला

कहानी

आज मेला था, बच्चे खुश थे,भोर होते ही शुरू हो गई थी आपस में चर्चा,इस बात की, कि हमें ये खिलौना मेले से लाना है।गटकू के बच्चे भी मेले को लेकर उल्लासित थे कि आज मेला है।हम भी बापू के साथ मेला जाएँगे।कुछ देर तक घर से बाहर और बाहर से अंदर,जा जाकर, गटकू के बच्चे मोहल्ले के बच्चों की मेले जाने तैयारी को देख रहे थे,और तभी अपने बापू गटकू को घर आते देखकर बच्चे बोले,,
“,बापू आज मेला है गाँव के सारे बच्चे मेला जाने की तैयारी में लगे हुए हैं,हम भी चलेंगे तुम्हारे साथ, गटकू कुछ बोला तो नहीं लेकिन बच्चों की ओर इस तरह से देखा ,कि बच्चे और कुछ कहते वह कहने से रुक गए ,और घर के एक कोने में जाकर खड़े हो गए।कोठरी के अंदर और अंदर से बाहर दो तीन चक्कर लगाने के बाद गटकू बच्चों से बोला”आज मेला है तो, जाकर क्या करोगे वहाँ इतनी भीड़ में, क्या मंगाना चाहते हो मेले से हम ला देंगे”,
कुछ देर तक बच्चे आपस में एक दूसरे की ओर देखते रहे और फिर अम्मा के पास जाकर बोले कि अम्मा ,,बापू से मेरे लिए एक गुड़िया और भैया के लिए बंदूक, और हाँ जलेबी और मूंगफली,,, बस बस इतना ही।
सूर्यास्त हो गया था घरों में दिया जल गए थे सब अपने घरों बापस आ गए थे, लेकिन रोज शाम होने के कुछ देर बाद रोटी खाकर जल्दी सो जाने वाले बच्चे गटकू के आज अभी भी जाग रहे थे, और अम्मा घर की रसोई में चुप चाप बैठी हुई थी।बच्चों की नजर घर के दरबाजे पर बार बार जाती कि कब कुंडी खटके और बापू से लिपटकर अपना अपना खिलौना लिया जाए। ऐसा करते करते बच्चे ऊबकर बैठे बैठे ऊँघने लगे थे। कुछ ही देर बाद जोर से दरबाजे पर दस्तक हुई, बच्चे चौंककर वोले अम्मा,,,, बापू बापू,, बापू आ गए।
दरबाजा खुला तो गटकू रोज की तरह लहरा रहा था कुछ बड़बड़ा रहा था।उसके हाँथों एक काली पन्नी थी उसने उसे पत्नी को देते हुए कहा,, ज़रा संभाल के टूट न जाए सुबह जरूरत होगी इसकी जब इस समय की पी हुई उतर जाएगी।
गटकू जाकर छप्पर में पड़ी चारपाई पर जाकर गिर गया और बड़बड़ाते हुए बोला, सुनती हो तुम बच्चों को बिगाड़ रही हो,।बच्चे दूसरे के बच्चों के साथ खेलते हैं और फिजूल की फरमाइशें आए दिन करते हैं।,,,,घर में सन्नाटा छा गया,,, एक बच्चे ने अम्मा का बायां एक बच्चे ने दायां हाँथ पकड़कर मायूस होते हुए कहा,,”,अम्मा ,,मूंगफली, जलेबी कोई हम अकेले थोड़ी खा लेते तुम और बापू भी तो खाते”,कोई बात नहीं अम्मा अगली साल मेले में तुम जाना और तब जलेबी, मूंगफली खिलौने ले आना।बच्चों की बात सुनकर गटकू की पत्नी मुँह पर धोती का पल्लू लगाकर जोर से फफक कर रो पड़ी और धीरे से बोली आज कम से कम दारू न पी होती, तो बच्चों के चेहरे पर हम आज तो खुशी देख लेते।