18 वर्ष 7 माह 10 दिन की आयु वाले कैदी से जेलर ने पूंछा कि तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा ?
कैदी ने कहा मैं आम खाना चाहता हूं । जेलर ने उसके लिये आम का प्रबन्ध कर दिया। लेकिन अगले दिन जब जेलर उसे फ़ांसी पर चढाने के लिये लेने उसकी कोठरी में पहुंचा तो आम ज्यों के त्यों रखे हुये थे।जेलर ने एक तरफ़ बैठे उस कैदी से पूंछा कि क्या हुआ आम तुमने बडे चाव से मंगवाये थे फ़िर खाये क्यों नहीं ? कैदी ने कहा इच्छा नहीं हुई, आप हटा लीजिये आमों को। जैसे ही जेलर ने आम अपने हाथों में आम उठाये दोनों आम पिचक गये।कैदी ने आम चूसकर फ़िर उन्हे इस प्रकार रख दिया था जिससे कि वो ऐसे लगें कि उन्हे खाया ही नहीं गया है।और कैदी जोर से हंसने लगा😀।जेलर अवाक रह गया और पूछ ही बैठा – तुम्हे आज फ़ांसी होने वाली है तुम मरने वाले हो और तुम इस प्रकार मजाक कर के हंस रहे हो तुम्हे तो दुखी होना चाहिये ? कैदी जो कि कोई और नहीं किशोर क्रांतिवीर खुदीराम बोस जी थे मुस्कुराते हुये बोले -” फ़ांसी ?? दुख ??मैं तो अपनी मां के लिये खुद को न्योछावर करने जा रहा हूं । अपनी मां की गोद में खेलने जा रहा हूं … मां से मिलने में भी कोई दुखी होता है भला ?”
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