…….तुलसी ……..
घर के आंगन में तुलसी हो,
जल धारा देने कलसी हो।
घर की बहू रानी तुलसी को,
जल देकर दीप जलाती हो।
यह दृश्य देख सासू माता,
मन ही मन मुस्कुराती हो।
तुलसी गंगा और गाय से भारत,
संस्कृति की अलख जगजगाता है।
तुलसी वाला आंगन अब तो,
चित्रों में दिख पाता हैं ।
धन्य धन्य वो घर आंगन है’
जो तुलसी गाय से शोभित हैं ।
जिनवाणी समयसार,
अरुगीता रामायण से सुरभित हैं….
..साहित्य मित्र …..विधानाचार्य ब्रःत्रिलोक जैन वर्णी गुरुकुल जबलपुर