*”योग”*
जाति न कोई धर्म से,योग है तन-मन से,
आज योग का संबंध,जीवन – संचार है।
आत्मा-परमात्मा-योग,संबंध योग मन से,
अष्टांग – योग साधना,जीवन – आधार है।
आसन प्राणायाम से,तन सोना बन जाय,
लगाम श्वास प्रश्वास, योग की पुकार है।
पूरक – रेचक कर, योग से निरोग अब ,
आज चहुँ ओर भरे, योग की हुँकार है।
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देखें विश्व पटल में,जयकार गूँज रही,
योग से निरोग होते,ये सारा संसार है ।
भारत ने विश्व में है,दिखाई प्रभाव योग
गाँव – नगर योग में, लगते कतार हैं।
है योग रहस्य गुरु,सदा मिलता प्रकाश,
संभावना- संभव है, योग की बयार है ।
अष्टांग योग साधना, समाया सारी संसार,
विश्व पटल में आज, गुंजे ओमकार हैं
___गुलज़ार सिंह यादव “गुल”
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़ )
मो. नं. 9406140170
*”योग”* |