3 सितम्बर/बलिदान-दिवस बाल बलिदानी कुमारी मैना

1857 के स्वाधीनता संग्राम में प्रारम्भ में तो भारतीय पक्ष की जीत हुई; पर फिर अंग्रेजों का पलड़ा भारी होने लगा। भारतीय सेनानियों का नेतृत्व नाना साहब पेशवा कर रहे थे। उन्होंने अपने सहयोगियों के आग्रह पर बिठूर का महल छोड़ने का निर्णय कर लिया। उनकी योजना थी कि किसी सुरक्षित स्थान पर जाकर फिर […]

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मेला-रामबाबू शुक्ला

आज मेला था, बच्चे खुश थे,भोर होते ही शुरू हो गई थी आपस में चर्चा,इस बात की, कि हमें ये खिलौना मेले से लाना है।गटकू के बच्चे भी मेले को लेकर उल्लासित थे कि आज मेला है।हम भी बापू के साथ मेला जाएँगे।कुछ देर तक घर से बाहर और बाहर से अंदर,जा जाकर, गटकू के […]

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आज का वेद मंत्र

शब्दार्थ : जिनकी आंख हर मानव की भलाई पर लगी हुई है । बिना निमेष के पलक झपकने के बिना मानव की भलाई पर टकटकी लगाए हैं । एसे जो पूजा के योग्य की महान विद्वान लोग है वे अमरता को प्राप्त करते हैं । प्रकाश पथ में रमण करने वाले अहिंसनीय मायावाले पाप रहित […]

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सत्यमेव जयते को अभेद्य अजेय समझना Narrative Building: अर्थ और महत्व-सुधीर शर्मा

एक गाँव में एक व्यापारी और एक कुम्हार था.कुम्हार ने व्यापारी से कहा, मैं तो बर्तन बनाता हूँ,पर गरीब हूँ… तुम्हारी कौन सी रुपये बनाने कीमशीन है जो तुम इतने अमीर हो? व्यापारी ने कहा – तुम भी अपने चाक परमिट्टी से रुपये बना सकते हो. कुम्हार बोला – मिट्टी से मिट्टी के रुपयेही बनेंगे […]

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सोने की चिड़िया वाले देश का असली राजा कौन ?-सुनीता बुग्गा (संकलनकर्ता)

बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराज_विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था । ★उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे […]

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कुतुबुद्दीन ऐबक, और विष्णु स्तंभ (क़ुतुबमीनार) का सच जो हम लोगों से छुपाया गया-सुरेश चव्हाणके (प्रधान सम्पादक सुदर्शन चैनल

किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि वो अपने देश, अपनी संसकृति और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें । इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया. हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों को महान […]

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मंच वर्सेस शाहित्य-डॉ कीर्ति काले

————————जरूरत से ज्यादा छप चुकने के बाद भी श्रोताओं की तालियाँ और वाहवाही सुनने का चाव इतना बलिष्ठ है कि माने या ना माने लेकिन किसी हद तक ये प्रत्येक छपने वाले कवि का भी अभीष्ट है।मंचीय कवियों को देखते ही नाक भौंह सिकोड़ने वाले छपाऊ कवि ने मानदेय का लिफाफा दोगुना करके आयोजन समिति […]

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एक विचार

2019 की दिसम्बर की 12 ता थी हम अपनी गुजरात की यात्रा पर थे दिल्ली से 2 लोग राजधानी में 1st ऐसी का कूपे । वैसे सब कुछ व्यवस्थित ढंग से था सब कुछ यथा योग्य।फिर ट्रैन अटेंडेंट महोदय का आगमन हुआ और उन्होंने नम्रता पूर्वक मुस्कुराते हुए कहा कि 2 महिलाएं कुछ एडजस्टमेंट की […]

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संघर्ष -सुधीर शर्मा

एक बार एक किसान भगवान् से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जायें। हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी खराब हो जाती थी। एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने भगवान् से कहा, “देखिये प्रभु […]

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