3 सितम्बर/बलिदान-दिवस बाल बलिदानी कुमारी मैना

1857 के स्वाधीनता संग्राम में प्रारम्भ में तो भारतीय पक्ष की जीत हुई; पर फिर अंग्रेजों का पलड़ा भारी होने लगा। भारतीय सेनानियों का नेतृत्व नाना साहब पेशवा कर रहे थे। उन्होंने अपने सहयोगियों के आग्रह पर बिठूर का महल छोड़ने का निर्णय कर लिया। उनकी योजना थी कि किसी सुरक्षित स्थान पर जाकर फिर […]

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भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में शाश्वत जीवन मूल्य : डॉ० बजरंग लाल गुप्ता

जीवन मूल्य का आधार होती है जीवन दृष्टि और फिर जीवन मूल्यों से बनते हैं जीवनादर्श । इस प्रकार जीवन दृष्टि, जीवन मूल्य और जीवनादर्श अन्योन्याश्रित हैं और एक अर्थ में परस्पर अंतर्भूत भी हैं । इस प्रकार कई बार इनके बीच कोई कठोर स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना भी कठिन हो जाता है । अथवा […]

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