Category: मंगल विमर्श
मेघों की तुम मेघा रानी-गुरुदीन वर्मा
(शेर)- जैसे जल को तरसे मछली, वैसे मेघ को तरसे धरती। मेघ बिना नहीं मिलता पानी, मेघ बिना यह बंजर धरती।।——————————————————-मेघों की तुम मेघा रानी, मेघ तुम बरसाओ।करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।। मेघों की तुम मेघा रानी———————–।। किसको जरूरत नहीं जल की, यह जल भी मिलता है तुमसे।तुम ही करती यह हरियाली, […]
Continue Readingशर्त सारी मान बैठे
शर्त सारी मान बैठे शर्त सारी मान बैठे जिंदगी तेरे लिए।क्यों दवा तू बन सकी ना ग़म भुलाने के लिए।। जाल बुनती है सलौना क्यों दिखाती है सपन।क्यों सताती क्यों लुभाती क्यों बढ़ाती है तपन।भाव दिन दूना बढाती भाव पाने के लिए। शर्त सारी मान बैठे जिंदगी तेरे लिए।। हार पहने इंद्रधनुषी साज़ झिलमिल सुर […]
Continue Readingनवगीत
याद तुम्हारी जैसे कोई,कंचन कलश भरे।जैसे कोई किरण अकेली,पर्वत पार करे।। जैसे तपती जेठ दुपहरी, बादल नभ छाए।भाद्र मास की रात अमावस, बिजली तड़काए।।याद तुम्हारी जैसे कोई, कंचन कलश भरे।जैसे कोई किरण अकेली, पर्वत पार करे।। कुछ मीठी सी यादें तेरी, कुछ मन की उलझन।हर पल तेरी बातें करतीं, मन का सम्मोहन।आकुल व्याकुल मन मेरा […]
Continue Readingचिरैया
मेरे आँगन में बैठी, एक चिरैया । चोंच में था दाना, पानी का न था नामोनिशान । आँखें गोल- गोल घुमा ताकती थी आसमाँ, बूँद पाने के लिए । साँसों को थी ज़रूरत हसरते जीने की , थी तृष्णा परवाज़ पर भारी, अक्स पाने के लिए । रवि खड़ा कर धारण विकराल रूप अपना , […]
Continue Readingअनुमति ..
स्मिता बहुत देर से कमरे में बैठी दीवार की तरफ़ एकटक देख रही थी! मानो जैसे दीवार मे कोई चल चित्र देख रही होI स्मृतियों के चित्र दीवार पर आते और निकलते जा,,, रहे थेI आठ साल पहले कितने शौक से उसके माता पिता ने उसका विवाह नीरज से किया था Iअपने संयुक्त परिवार में […]
Continue Readingअंत ही आरंभ है
अंत ही आरंभ है, यही सत्य जीवन अवलंब है। निराशा में आशा का दिव्य ज्योति स्तंभ है। टूटने नहीं देता जगाता आस, नव सृजन का शाश्वत विश्वास पतझड़ के पीत पल्लवों से झांकता बसंत का मदमाता उल्लास। रात का अंधकार कहाँ हमेशा ठहर पाता है, नवप्रभात सूरज जो चीर-मुस्कान सजाता है। बीज धरा की गहराई […]
Continue Readingपेंशन (लघु कथा)
पेंशन (लघु कथा) “अम्मा! तुम भी ना… कर दी ना देर। तुम्हें तो समझाना ही बेकार है। एक दिन घंटी नहीं डोलाती तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ता? जानती हो न! बैंक में कितनी लंबी लाइन लगी रहती है। तो भी बैठ गई भोग लगाने..” माँ तो बस दम साधे निर्विकार भाव […]
Continue Readingबेचैनियां
अजब बेचैनियां हैं, इब्तिला है, यही दरअस्ल उल्फ़त का सिला है। सफ़र में मैं अकेला तो नहीं हूं, मेरे हमराह अब इक क़ाफ़िला है। ख़ुदा की ख़ूबसूरत नेअमतों में, ये सांसों धड़कनों का सिलसिला है। हमारी रूह ज़िंदा है अज़ल से, बदन तो अस्ल में फ़ानी मिला है। उदासी ने बुझा कर रख दिया था, […]
Continue Readingविरला हैं वो जो सादगी में जिया हैं- सुषमा पारख
ढूँढने गये जो सादगी को हम अभी मिलती हैं कहीं कहीं और कभी कभी , मेंटन दिखावें को सबने खूब किया हैं विरला हैं वो जो सादगी में जिया हैं अनमोल सादगी का कहीं मोल ही नहीं वो पाक सादगी कहीं मिलती नहीं जो हैं ही नहीं वो ,ऐसा बन के जिया हैं सजावट ने […]
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