“योग”

  *”योग”* जाति न कोई धर्म से,योग है तन-मन से, आज योग का संबंध,जीवन – संचार है। आत्मा-परमात्मा-योग,संबंध योग मन से, अष्टांग – योग साधना,जीवन – आधार है। आसन प्राणायाम से,तन सोना बन जाय, लगाम श्वास प्रश्वास, योग की पुकार है। पूरक – रेचक कर, योग से निरोग अब , आज चहुँ ओर भरे, योग […]

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जयशंकर प्रसाद के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना को प्रभावित करने वाले कारक

आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रारंभ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही होता है| जैसे जैसे देश के लोगों में राष्ट्रीयता का विकास होता है ठीक वैसे वैसे हिंदी साहित्य का विकास आरंभ होता है । जिस प्रकार भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रणेता राजा राम मोहन राय हैं,वैसे ही हिंदी साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी […]

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