भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में शाश्वत जीवन मूल्य : डॉ० बजरंग लाल गुप्ता

जीवन मूल्य का आधार होती है जीवन दृष्टि और फिर जीवन मूल्यों से बनते हैं जीवनादर्श । इस प्रकार जीवन दृष्टि, जीवन मूल्य और जीवनादर्श अन्योन्याश्रित हैं और एक अर्थ में परस्पर अंतर्भूत भी हैं । इस प्रकार कई बार इनके बीच कोई कठोर स्पष्ट विभाजक रेखा खींचना भी कठिन हो जाता है । अथवा […]

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भारत भारतीयों का या घुुसपैठियों का? (वर्तमान सन्दर्भ) डॉ विनोद बब्बर (सम्पादक राष्ट्र किंकर)

भारत भारतीयों का या घुुसपैठियों का? आज अगर यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछे, ‘वर्तमान का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?’ तो युधिष्ठिर का उत्तर होगा, ‘कोई एक आश्चर्य हो तो कहूं। यहां तो एक से बढ़कर एक आश्चर्य हैं। अपने सीमित संसाधनों वाले घर में घुुसे लोगों को निकाल बाहर करने की बजाय कुछ भारतीय […]

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